अथे जुगुलिं ब्राह्मणयागु
कल भी राजनीती का बड़ा आधार ब्राह्मण था आज भी है, परन्तु कल इसका सदुपयोग समाज के बौद्धिक विकास में किया जाता रहा आज इसका प्रयोग बौद्धिक भ्रष्टाचार में किया जा रहा है..! आवश्यकता है इस अंतर को समझकर राष्ट्र निर्माण, समाज का पुनरोत्थान की कोशिस में लगना. हमें किसी राजनितिक दल से निकटता नहीं बनानी. धर्म और राजनीती के विशेष अंतर में रहकर अपने ब्राह्मण को पुनर्जाग्रत करना !