Friday 18 May 2012
QUOTES
हम चलते रहे और कारवां बनता गया,
कुछ थक गये और साथ छोड़ गये,
कुछ ने हमें सराहा और जुड़ते गये,
जिन्होंने छोड़ा, वो भी अपने ही थे,
जो साथ चले, वो भी अपने ही हैं,
फर्क सिर्फ इतना मात्र है कि,
जो साथ नहीं, वो अनभिज्ञ हैं|
हर हालमें खुश रहनेकी विद्या सत्संगसे ही मिलती है |
Under all circumstances, one learns the art of happiness only through Satsanga.
Wednesday 16 May 2012
Neeti Nirdharan
सदस्यों के लिए"युवा ब्रह्मण मंच''की नीति निर्धारण :||
आप सभी गणमान्य सद स्यों का य हाँ इस सभा में स्वाग त है| हम सभी मिलकर यहाँ से एक स्वस्थ समाज का निर्माण किया जाय| जहां कोइ विद्वेष न हो | सिर्फ जनसामान्य की बात हो, जिससे वह रोज संघर्ष करता है| समाज को तरक्की चाहिए | मूलभूत सुविधाओं क ा स्पर्श चाहिए | भूख के दानव और भ्रष्टाचार से निजात चाहिए | भय से छुटकारा चाहिए | हम सभी मिलकर इसपर कदमदर कदम संघर्ष करे | राह आसान नही , पर मंजिल दूर नही|
यह "युवा ब्रह्मण मंच " हम सभी का है किसी एक विशेष व्यक्ति अथवा दल कानहीं है, अतः निः संकोच अपने विचार रखें| वह सारे विषय यहाँ लाये जा सकते है जिससे ब्राह्मण हित प्रभावित ह ो | सभी समाज हमारी तरफदेख रहा है | क्या हमअगुवाई कर पाने मेंसक्षम हो सकेंगे ?
यहाँ कोई किसी से आहत न हो इस लिए एक नीति निर्धारण आवश्यक है , जिसका सभी के द्वारा सदै वध्यान रखा जाय|
सदस्यों के लिए " युवा ब्रह्मण मंच '' की नीति निर्धारण :
1 - अमर्यादित भाषा का प्रयोग पूर्णतया वर्जित है |
2 - मानव संसाधन से जुड़े विषय यहाँ की प्राथमिकता है |
3 - धर्म, संस् कृति,संस्क ृत, हिन्दी , अन्य भारतीय भाषा के विकास के लिए सारे तथ्य सादर आमंत्रित है|
4 - आप अपने व्यवसाय,ग्रुप,कंप नी के प्रचार हेतु पोस्ट कर सकते हैं |
5 - फूहड़ पोस्ट, अश् लील चित्र, चुटकुले, कमेन्ट करना सख्त माना है | ऐसी पोस्ट करने वाले सदस्य को निष्काषित कर दिया जाएगा |
6 - कोई आहत ना हो इसका विशेस दयां रखा जाय|
7 - किसी भी प्रकार का सुझाव , किसी सदस्य / पोस्ट से शिकायत हो तो प्रशासक को ईमेल /मेसेज करें
8- यदि यह सभा आपके मन मुताबिक़ नहीं हैतो आप 'लीव ग्रुप' आप्शन का प्रयोग करें, मंच पर अनावश्यक हंगामा ना करें .
9- इस मंच पर मर्यादों की परिधि में ही पोस्ट डाले यहाँ |
....युवा ब्रह्मण मंच.....
Tuesday 15 May 2012
Pankaj Joshi ▶ Yuva Brahmin Munch
हैँ नई चेतना नये सुरे का ये मंच ।
बचा हुआ है अभी यहाँ भी धर्म ।।
यहाँ होती हैँ एक अद्भूत ज्ञान की अनुभुती ।
सच्चाई की बयान करता हैँ येमंच कहती ये जंमी ।
सभी करते है यहाँ रोज-रोज नये कंमन्ट ।
वाह क्या खूब बनायाइस मंच के तुने मेरे खुदा ।
अब इन प्यारी यादो के न मुझसे जुदा ।
इस मंच ने बना ली हैअपनी अलग पहचान ।
तभी तो जन-जन ने लिया हैँ इसे जान ।
क्या कहू अब पाण्डेजी आपसे।
लिख रहा हू सत्य की राह से ।
मेरी दुवा है इस मंच के ये बडता रहे ।
सत्य की राह पर चलता रहे ।
गम नही हम रहे या न रहेँ ।
आप और ये मंच हो ।
क्या लिखू लिखने केलिए शब्द्र नही ।
यहाँ झूठ असत्य की कोइ जरूरत नही ।
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