Tuesday 4 September 2012

varn

गीता के चोथे अध्याय में स्पस्ट लिखा है चतुर्वर्न्यम माया सृष्टं गुणकर्म विभाग्सः '' चारो वर्णों को भगवान् ने बनाया है , जीवो के गुण और कर्मो का विचार करते हुवे | केवल भगवान् ही किसी के गुण कर्मो पर विचार कर सकते है, गीता में कहा भी कर्मण्ये वाधिकारस्ते '' जीव का अधिकार केवल कर्म करने में है वोकेवल कर्म कर सकता है फल निश्चित नहीं कर सकता है , ब्राह्मणत्व आदि आदि तो फल ही है इसको तो केवल भगवान् ही दे सकते है कोई व्यक्ति किसी को ब्राह्मण आदि नहीं बना सकता है अन्यथा वो स्वयं को भगवान् होने का दावा कर रहा है जो व्यवहार जगत में शास्त्र विरुद्ध है| गीता में भगवान् कहते है कर्म की गतिबड़ी गहन है उसको समझने में बड़े बड़े विद्वान् भी मोहित हो जाते है कर्मणागहनों गतिही, कवयोअपि अत्र मोहिता '' अतः जन्म से ही किसी की जाति निश्चित होती है '' जाति'' शब्द ही जन्म से सम्बंदित है || जय जय पार्वतीनाथ ||

Happy Teachers Day

रामकृष्ण पांडेय ▶ शिक्षक दिवस पर गुरुओं को नमन ........ गुरुवर जब से चले गए तुम वीरानी सी छाई है, याद आपको करते करते आँख मेरी भर आईहै, याद है बचपन के दिन हमको, जब भी आप पढ़ाते थे, हम पीछे से देख आपको नैन खूब मटकातेथे, आप हमे समझाते रहते सब से बड़ी पढाई है, याद आपको........ भूले बिसरे याद है आते, वो बचपन के संग संघाती, धूल भरे दिन वो हुल्लड़ सब, वो मौजों की अल्हड आंधी , वो दिन जाने कहाँ गए अब पतझड़ में अमराई है, याद आपको....... याद है मुझको आज भी वो दिन, जब संटी आप की टूटी थी, जाने कहाँ से कट कर आई, पतंग जब हमने लूटी थी, जीवन की तपती दोपहर में याद की बदली छाई है, याद आपको...... सम्वेदित मन भर आता है, चक्षु से झरना बह जाता है, ह्रदय विरह के सुर गाता है , अब तो बाँकी पास हमारे यादों की शहनाई है, याद आपको करते ...

Happy Teachers Day

रामकृष्ण पांडेय ▶ शिक्षक दिवस पर गुरुओं को नमन ........ गुरुवर जब से चले गए तुम वीरानी सी छाई है, याद आपको करते करते आँख मेरी भर आईहै, याद है बचपन के दिन हमको, जब भी आप पढ़ाते थे, हम पीछे से देख आपको नैन खूब मटकातेथे, आप हमे समझाते रहते सब से बड़ी पढाई है, याद आपको........ भूले बिसरे याद है आते, वो बचपन के संग संघाती, धूल भरे दिन वो हुल्लड़ सब, वो मौजों की अल्हड आंधी , वो दिन जाने कहाँ गए अब पतझड़ में अमराई है, याद आपको....... याद है मुझको आज भी वो दिन, जब संटी आप की टूटी थी, जाने कहाँ से कट कर आई, पतंग जब हमने लूटी थी, जीवन की तपती दोपहर में याद की बदली छाई है, याद आपको...... सम्वेदित मन भर आता है, चक्षु से झरना बह जाता है, ह्रदय विरह के सुर गाता है , अब तो बाँकी पास हमारे यादों की शहनाई है, याद आपको करते ...

Happy Teachers Day

शिक्षक दिवस पर विशेष ---- अब्राहम लिंकन का पत्र अपने बेटे के शिक्षक के नाम ---- "मैं जानता हूँ और मानता हूँ कि हर व्यक्ति न तो सहीही होता है और नहीं होता है सच्चा नेक लोगों के विचार एक हों यह जरूरी भी नहीं सिखा सकते हो तो मेरे बेटे को सिखाओ कि कौन बुरा है और कौन अच्छा बता सकते हो तो उसे बतान कि चालाक और विद्वान् में अंतर होता है दुष्ट लोगों की सफलता का सच भी उसे बताना पर यह जरूर बताना किबुरे यंत्रणा और आदर्श प्रेरणा देतेहैं सभी नेता स्वार्थी ही नहीं होते समर्पित नेता भी होते हैं हालांकि कम ही होते हैं समाज में शत्रु और मित्र पहले से नहीं होते, बनाने से बनते हैं कुरूप और स्वरुप दृष्टि के अनुरूप होते हैं बता सकते हो तो उसे बताना कि करुणा पाने से बेहतर है करुणा जताना कृपा से मिले बहुत से बेहतर है मेहनत से थोड़ा पाना सिखा सकते हो तो उसेसिखाना कि हार के बाद भी मुस्कुराना बता सकते हो तो उसे यह भी बताना कि ईर्ष्या और द्वेष"प्रतियोगिता की भावना" के प्रतिद्वंद्वी हैं जितनी जल्दी हो उसे यह बताना कि दूसरों को आतंकित करने वाला दरअसल स्वयं ही आतंकित होता है क्योंकि उसके मन में ही चोर होता है, उसे दिखा सको तो दिखाना किताबों मेंखोया हुया खजाना पर यह भी बताना कि दूसरों की लिखी किताब पढने वालों से बेहतर है खुद किताब बन जाना उसको इतना भी नहीं पढ़ाना कि भूल जाए वहअंतर्मन के गीत गुनगुनाना उसको चिंता और चिंतन का समय देना ताकि वह जाने झरनों का निनाद मधु मक्खी का गुनगुनाना .फूलों की महक ,चिड़िया की चहक, तारों का टिमटिमाना उसे सिखा सको तो सिखाना शातिर सफलता से बेहतर है सिद्धांत के जोखिम उठाना सत्य स्वतंत्र होताहै और साहसी ही विनम्र होते हैं यों तो रेंगते लोगों की भीड़ है परनायक तो वही है जिसकी मजबूत रीढ़ है उसे सिखा सकते हो तोसिखाना सदमें में मुस्कुराना वेदना में गाना लोगों की फब्तियों को मुस्कुरा कर सह जाना अगर सिखा सकते हो तोउसे यह भी सिखाना अपने बाहुबल और बुद्धि का संतुलन बनाना वैसे तो मेरा हर गुरु से यह अनुरोध है पर चाह लो तो तुम कर सकते हो, इसका मुझे बोध है हर बच्चे का तुम्हारे साथ एक ही रिश्ता है -Rajiv Chaturvedi*Chairman -Aadharshila Group

Thursday 30 August 2012

Meri Kavita

सब की जुबाँ पर गीत बनकर एक दिन आयेगी मेरी कविता आज नही तो कल कोयल बन गुनगुनायेगी ये मेरी कविता बनकर मेरे दिल की धडकन धडकायेगी ये मेरी कविता लेकर अपनें शब्दों के मोती लुभायेगी ये मेरी कविता तू अगर समाँ जाये इसमे महक जायेगी मेरी कविता तेरे रंग रूप से एक दिन निखर जायेगी मेरी कविता चुराकर तेरी ये मुस्कुराहट सँवर जायेगी मेरी कविता अँधियारी रातों मेंअगर भटक गये जो कदम कभी चाँदनीं बनकर उजियाला फैलायेगी ये मेरी कविता अपनें होंगे सभी पराये जब नाता तोडेगी दुनियाँ बनकर हमसफर तब साथ निभायेगी ये मेरी कविता अगर कभी जीवन खुद ही बन जायेगी एक सवाल जवाब बनकर सवालों को सुलझायेगी मेरी कविता जब भी देखूँ मैँ इसको शब्दों का श्रंगार किये नई नवेली दुल्हन नजर तब आती है मेरी कविता कोई न हो जब पास मेरे तनहाई काटनें को दौडे आलिंगन बद्ध होकर " दीश " बतलाती है मेरी कविता..! Jagdish Pandey,Handia,Allahabad

Nirdesh

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