Thursday 30 August 2012

Meri Kavita

सब की जुबाँ पर गीत बनकर एक दिन आयेगी मेरी कविता आज नही तो कल कोयल बन गुनगुनायेगी ये मेरी कविता बनकर मेरे दिल की धडकन धडकायेगी ये मेरी कविता लेकर अपनें शब्दों के मोती लुभायेगी ये मेरी कविता तू अगर समाँ जाये इसमे महक जायेगी मेरी कविता तेरे रंग रूप से एक दिन निखर जायेगी मेरी कविता चुराकर तेरी ये मुस्कुराहट सँवर जायेगी मेरी कविता अँधियारी रातों मेंअगर भटक गये जो कदम कभी चाँदनीं बनकर उजियाला फैलायेगी ये मेरी कविता अपनें होंगे सभी पराये जब नाता तोडेगी दुनियाँ बनकर हमसफर तब साथ निभायेगी ये मेरी कविता अगर कभी जीवन खुद ही बन जायेगी एक सवाल जवाब बनकर सवालों को सुलझायेगी मेरी कविता जब भी देखूँ मैँ इसको शब्दों का श्रंगार किये नई नवेली दुल्हन नजर तब आती है मेरी कविता कोई न हो जब पास मेरे तनहाई काटनें को दौडे आलिंगन बद्ध होकर " दीश " बतलाती है मेरी कविता..! Jagdish Pandey,Handia,Allahabad

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